In English, PM dedicates INS Kalvari to the nation
In English, PM dedicates INS Kalvari to the nation
The 21st century is Asia’s century. Our Government accords highest importance to the Indian Ocean region, guided by the principle of Sagar – Security And Growth for All in the Region. https://t.co/6wjN1InTqU
— Narendra Modi (@narendramodi) December 14, 2017
Prime Minister’s Office
The Prime Minister, Shri Narendra Modi, today dedicated the naval submarine INS Kalvari to the nation, at a function in Mumbai.
Congratulating the people of India on this occasion, the Prime Minister described INS Kalvari as a prime example of “Make in India.” He commended all those involved in its manufacture. He described the submarine as an excellent illustration of the fast growing strategic partnership between India and France. He said the INS Kalvari will add even more strength to the Indian Navy.
In Hindi, Text of PM’s address at the commissioning ceremony of naval submarine INS Kalvari at Mumbai
The Prime Minister said that the 21st century is described as Asia’s century. He added that it is also certain that the road to development in the 21st century goes through the Indian Ocean. That is why the Indian Ocean has a special place in the policies of the Government, he added.
The Prime Minister said this vision can be understood through the acronym SAGAR – Security and Growth for All in the Region.
The Prime Minister said India is fully alert with regard to its global, strategic and economic interests in the Indian Ocean. He said that is why the modern and multi-dimensional Indian Navy plays a leading role in promoting peace and stability in the region.
He said the ocean’s innate potential adds economic muscle to our national development. That is why, he added, India is well aware of the challenges such as sea-borne terrorism, piracy, and drug trafficking, that not just India, but other nations in the region also have to face. He said India is playing a key role in tackling these challenges.
He said India believes that the world is one family, and is fulfilling its global responsibilities. India has played the role of “first responder” for its partner countries, in times of crisis, he added. He said the human face of Indian diplomacy and Indian security establishment is our speciality. He said a strong and capable India has a vital role to play for humanity. He said countries of the world wish to walk with India on the path of peace and stability.
The Prime Minister said that the entire ecosystem related to defence and security has started to change in the last three years. He said the skill-set accumulated during the manufacture of INS Kalvari is an asset for India.
The Prime Minister said that the Government’s commitment has ensured that the long pending issue of “One Rank One Pension” has been resolved.
The Prime Minister said that the Government’s policies and the bravery of the Armed Forces have ensured that the use of terrorism as a proxy war in Jammu and Kashmir has not been successful. The Prime Minister expressed his gratitude to all those who have dedicated their lives to the nation’s security.
In Hindi,
महाराष्ट्र के गवर्नर श्रीमान विद्या सागर. राव जी, रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्रीमान देवेंद्र फडणवीस जी, रक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष भामरे जी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्रीमान अजीत डोवाल जी, फ्रांस के राजदूत अलेक्सेंडर जिगरल व अन्य फ्रांसीसी अतिथिगण, नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लान्बा जी, कमांडिंग इन चीफ, वेस्टर्न नेवल कमांड वाइस एडमिरल गिरीश लूथरा जी, वाइस एडमिरल डी एम देशपांडे जी, सी एम डी, एम डी एल, श्रीमान राकेश आनंद, कैप्टेन एस.डी. मेहंदले, नौसेना के अन्य अधिकारी एवं सैनिकगण, MDL (मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड) के अधिकारी एवं कर्मचारीगण,कार्यक्रम में उपस्थित अन्य गणमान्य महानुभाव।
आज सवा सौ करोड़ भारतीयों के लिए यह गौरव से भरा हुआ एक महत्वपूर्ण दिवस है। मैं सभी देशवासियों को इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। INS कलवरी पनडुब्बी को राष्ट्र को समर्पित करना, मेरे लिए एक बहुत ही सौभाग्य का अवसर है।
मैं देश की जनता की तरफ से भारतीय नौसेना को भी अनेक-अनेक शुभकामनाएं अर्पित करता हूं। करीब दो दशक के अंतराल के बाद, भारत को इस तरह की पनडुब्बी मिल रही है।
नौसेना के बेड़े में कलवरी का जुड़ना रक्षा क्षेत्र में हमारी तरफ से उठाया गया एक बहुत बड़ा कदम है। इसे बनाने में भारतीयों का पसीना लगा है, भारतीयों की शक्ति लगी है। ये Make In India का उत्तम उदाहरण है।
मैं कलवरी के निर्माण से जुड़े हर श्रमिक, हर कर्मचारी का आज भी हार्दिक अभिनंदन करता हूं। कलवरी के निर्माण में सहयोग के लिए मैं फ्रांस को भी बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। ये पनडुब्बी भारत और फ्रांस की तेजी से बढ़ती स्ट्रैटेजिक पार्टनर-शिप का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
साथियों, ये वर्ष भारतीय नौसेना की सबमरीन आर्म का स्वर्ण जयंती वर्ष है। अभी पिछले हफ्ते ही सबमरीन आर्म को प्रेसिडेंट्स कलर से सम्मानित किया गया है। कलवरी की शक्ति, या कहें टाइगर शार्क की शक्ति हमारी भारतीय नौसेना को और मजबूत करेगी।
साथियों, भारत की सामुद्रिक परंपरा का इतिहास बहुत ही पुराना है। पाँच हजार साल पुराना, गुजरात का लोथल, दुनिया के शुरुआती sea-ports में से एक रहा है। इतिहासकार बताते हैं कि 84 देशों से व्यापार के लोथल के जरिए हुआ करता था। एशिया के अन्य देशों और अफ्रीका तक में हमारे संबंध समंदर की इन्हीं लहरों से होते हुए आगे बढ़े हैं। सिर्फ व्यापार ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक तौर पर भी हिंद महासागर ने हमें दुनिया के दूसरे देशों के साथ जोड़ा है, उनके साथ खड़े होने में हमारी मदद की है।
हिंद महासागर ने भारत के इतिहास को गढ़ा है और अब वो भारत के वर्तमान को और मजबूती दे रहा है।7500 किलोमीटर से ज्यादा लंबा हमारा समुद्री तट, 1300 के करीब छोटे-बड़े द्वीप, लगभग 25 लाख स्क्वायर किलोमीटर की Exclusive Economic Zone एक ऐसी सामुद्रिक शक्ति का निर्माण करते हैं, जिसका कोई मुकाबला नहीं है। हिंद महासागर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ये महासागर दुनिया के दो तिहाई Oil Shipments, दुनिया के एक तिहाई Bulk कार्गो और दुनिया के आधाContainer Traffic का भार वहन करता है। इससे होकर गुजरने वाला तीन-चौथाई Traffic दुनिया के दूसरे हिस्सों में जाता है। इसमें उठने वाली लहरें दुनिया के 40 देशों और 40 प्रतिशत जनसंख्या तक पहुंचती हैं।
साथियों, कहा जाता है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। ये भी तय है कि 21वीं सदी के विकास का रास्ता हिंद महासागर से होकर के ही निकलेगा। और इसलिए हिंद महासागर की हमारी सरकार की नीतियों में एक विशेष उसका स्थान है, विशेष जगह है। ये अप्रोच, हमारे विजन में झलकती है। मैं इसे एक स्पेशल नाम से भी उल्लेख करता हूं- S. A. G. A. R.- “सागर” अगर मैं सागर कहता हूं। यानि कि सेक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन। “सागर” हम हिंद महासागर में अपने वैश्विक, सामरिक और आर्थिक हितों को लेकर पूरी तरह सजग हैं, सतर्क हैं और इसलिए भारत की Modern और Multi-Dimensional नौसेना को पूरे क्षेत्र में शांति के लिए, स्थायित्व के लिए आगे बढ़कर के नेतृत्व कर रही है। जिस तरह भारत की राजनीतिक और आर्थिक Maritime Partnership बढ़ रही है, क्षेत्रीय Frame-work को मजबूत किया जा रहा है, उससे इस लक्ष्य की प्राप्ति और आसान नजर आती है।
साथियों, समुद्र में निहित शक्तियां हमें राष्ट्र निर्माँण के लिए आर्थिक शक्ति प्रदान करती हैं और इसलिए भारत उन चुनौतियों को लेकर भी गंभीर है, जिनका सामना भारत ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र के अलग-अलग देशों को भी करना पड़ता है।
चाहे समुद्र के रास्ते आने वाला आतंकवाद हो, Piracy की समस्या हो, ड्रग्स की तस्करी हो, भारत इन सभी चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सबका साथ-सबका विकास का हमारा ये मंत्र है। जल-थल-नभ में भी एक ही समान है।
पूरे विश्व को एक परिवार मानते हुए, वसुधैव कुटुम्ब की भावना को आगे बढ़ाते हुए भारत अपने वैश्विक उत्तरदायित्वों को लगातार निभा रहा है। भारत अपने साथी देशों के लिए उनके संकट के समय first responder बना हुआ है और इसलिए जब श्रीलंका में बाढ़ आती है तो भारत की नौसेना तत्परता से मदद के लिए सबसे पहले पहुँच जाती है।
जब मालदीव में पानी का संकट आता है तो भारत से जहाज़ भर-भर के पानी तत्काल पहुंचाया जाता है। जब बांग्लादेश में चक्रवात आता है तो भारत की नौसेना बीच समंदर में फंसे बांग्ला-देशियों को बाहर निकालकर लाती है। म्यांमार तक में तूफान से पीड़ित लोगों की मदद के लिए भारतीय नौसेना पूरी शक्ति के साथ मानवीय दृष्टिकोण से मदद करने में कभी पीछे नहीं रहती है। इतना ही नहीं, यमन में संकट के समय जब भारतीय नौसेना अपने साढ़े चार हज़ार से अधिक नागरिकों को बचाती है, तो साथ में 48 और देशों के व्यक्तियों को भी सुरक्षित संकट से बाहर निकाल करके ले आती है।
भारतीय डिप्लोमैसी और भारतीय सुरक्षा तंत्र का मानवीय पहलू ये भारत की विशेषता है, ये हमारी विशिष्टता है। मुझे याद है जब नेपाल में भूकंप आया था, तो कैसे भारतीय सेना और वायुसेना ने राहत कार्यों की कमान संभाली थी। 700 से ज्यादा उड़ानें, एक हजार टन से ज्यादा की राहत सामग्री, हजारों भूकंप पीड़ितों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, सैकड़ों विदेशी नागरिकों को बाहर निकालना, ये “मैत्री-भाव” भारत के जहन में है, भारत के स्वभाव में है। भारत मानवता के काम को किए बिना कभी रह नहीं सकता है।
साथियों, समर्थ और सशक्त भारत सिर्फ़ अपने लिए नहीं संपूर्ण मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। आज हम दुनिया के विभिन्न देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। उनकी सेनाएं, हमारी सेना के साथ तालमेल बढ़ाने के लिए, हमसे अनुभव साझा करने के लिए आतुर रहती हैं। जब वे हमारे साथExercises में हिस्सा लेती हैं तो अक्सर ये चर्चा का विषय भी होता है।
पिछले वर्ष ही भारत में International Fleet Review के लिए 50 देशों की नौसेनाएं जुटीं थीं। विशाखापट्टनम के पास समंदर में उस समय बने विहंगम दृश्य किसी के लिए भी शायद ही भूलना संभव है।
इस वर्ष भी भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में अपने शौर्य से दुनिया का ध्यान खींचा है।
जुलाई में हुई Malabar Exercise में अमेरिका और जापान की नौसेना के साथ भारतीय नौसेना ने शानदार प्रदर्शन किया था। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया की नेवी के साथ, सिंगापुर की नेवी के साथ, म्यांमार, जापान,इंडोनेशिया की नेवी के साथ भारतीय नौसेना ने अलग-अलग महीनों में इस वर्ष Exercises का क्रम लगातार जारी रखा हैं। भारतीय सेना भी श्रीलंका, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, बांग्लादेश, सिंगापुर जैसे देशों के साथ संयुक्त अभ्यास कर चुकी है। भाइयों और बहनों, ये पूरी तस्वीर इस बात की गवाह है कि दुनिया के देश, शांति और स्थायित्व के मार्ग में भारत के साथ चलने के लिए आज इच्छुक है, प्रतिबद्ध हैं। साथियों, हम इस बात के प्रति भी सजग हैं कि देश की सुरक्षा के लिए चुनौतियों का स्वरूप बदल चुका है। हम अपनी रक्षा तैयारियों को इन चुनौतियों के अनुरूप करने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। Proactive कदम उठा रहे हैं।
हमारा प्रयास है कि हमारी Defence Power, Economic Power, Technical Power के साथInternational Relation की Power, Public के Confidence की Power, देश की Soft Power, इन सभी Factors में एक सिनर्जी हो। ये परिवर्तन आज के समय की माँग है।
भाइयों और बहनों, पिछले तीन साल में रक्षा और सुरक्षा से जुड़े पूरे eco-system में बदलाव की एक शुरुआत हुई है। बहुत नई पहल की गई है। जहाँ एक ओर हम आवश्यक साजो सामान के विषय को प्राथमिकता के साथ Address कर रहे हैं, वहीं देश में ही आवश्यक technology के विकास के लिए Pro-active agenda भी सेट किया जा रहा है।
Licensing प्रक्रिया से Export प्रक्रिया तक, हम पूरे सिस्टम में पारदर्शिता और संतुलित प्रतिस्पर्धा ला रहे हैं। विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए भी हमारी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। अब 49 प्रतिशत FDI automatic route से किया जा सकता है। डिफेंस सेक्टर के कुछ क्षेत्रों में तो अब 100 प्रतिशत FDI का रास्ता खुल गया है। Defence Procurement Procedure में भी हमने बड़े बदलाव किये हैं। इनसे Make in Indiaको भी बढ़ावा मिल रहा है। इससे रोजगार के भी नए अवसरों का निर्माण हो रहा है। जैसे, मुझे बताया गया है कि INS कलवरी के निर्माण में लगभग 12 लाख Man-days
लगे हैं। इसके निर्माण के दौरान जो तकनीकि दक्षता भारतीय कंपनियों को, भारतीय उद्योगों को, छोटे उद्यमियों को और हमारे इंजीनियरों को मिली है, वो देश के लिए एक तरह से “Talent Treasure” है। येSkill-Set हमारे लिए एक asset है जिसका लाभ देश को भविष्य में लगातार मिलेगा।
साथियों, भारतीय कंपनियां डिफेंस सेक्टर के product’s बनाएं औऱ उसे दुनिया भर में export करे, इसके लिए defence exports पॉलिसी में भी हमने आमूल-चूल परिवर्तन किया है। जो product’s यहां बन रहे हैं,वो हमारे सैन्य बल भी आसानी से खरीद सकें, इसके लिए लगभग डेढ़-सौ non-core items की एक लिस्ट बनाई गई है। इनकी खरीद के लिए सैन्य बलों को Ordnance Factories से मंजूरी की जरूरत नहीं है, वे सीधे प्राइवेट कंपनियों से ये product खरीद सकती हैं।
देश को डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनाने के लिए, सरकार, भारतीय प्राइवेट सेक्टर के साथ Strategic Partnership Model लागू कर रही है। हमारी कोशिश है कि विदेशों की तरह ही भारतीय कंपनियां भी फाइटर प्लेन से लेकर हेलीकॉप्टर और टैंक से लेकर सबमरीन तक का निर्माण इसी धरती पर करें। भविष्य में यहीStrategic Partner भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को और मजबूत बनाएंगे।
सरकार ने रक्षा क्षेत्र से जुड़े सामान की खरीद में भी तेजी लाने के लिए भी अनेक नीतिगत फैसले लिए हैं। रक्षा मंत्रालय और सर्विस हेडक्वार्टर स्तर पर financial powers में भी बढोतरी की गई है। पूरी प्रक्रिया को और सरल और कारगर बनाया गया है। इन महत्वपूर्ण सुधारों से रक्षा-व्यवस्था और देश की सेनाओं की क्षमता और भी मज़बूत होंगी।
भाइयों और बहनों, हमारी सरकार की सुरक्षा नीतियों का अनुकूल प्रभाव बाहरी ही नहीं बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा पर भी सकारात्मक प्रभाव पैदा कर रहा है।
आप सभी जानते हैं कि किस प्रकार आतंकवाद को भारत के खिलाफ एक प्रॉक्सी वॉर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। हमारी सरकार की नीतियां और हमारे सैनिकों की वीरता का ये परिणाम है कि जम्मू-कश्मीर में हमने ऐसी ताकतों को सफल होने नहीं दिया है। जम्मू-कश्मीर में इस साल अब तक 200 से ज्यादा आतंकी, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षाबलों के सहयोग से मारे जा चुके हैं। पत्थरबाजी की घटनाओं में भी काफी कमी आई है।
उत्तर पूर्व के राज्यों में भी, north eastern state में भी स्थिति में भी काफी सुधार दिखता है। नक्सली-माओवादी हिंसा भी कम हुई है। ये स्थिति इस बात का भी संकेत है कि इन क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लोग अब विकास की मुख्यधारा में वापिस लौट रहे हैं।
मैं आज इस अवसर पर हर उस व्यक्ति का आभार व्यक्त करता हूं जिसने देश की सुरक्षा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है।
राज्यों के पुलिस बल, अर्ध सैनिक बल, हमारी सेनाएं, सुरक्षा में लगी हर वो एजेंसी जो दिखती है, और हर वो एजेंसी जो नहीं दिखती है, उनके प्रति इस देश के सवा-सौ करोड़ लोग कृतज्ञ हैं। उनका अभिनंदन करता हूं। मैं उनका धन्यवाद करता हूं।
साथियों, देश की मजबूती हमारे सुरक्षाबलों की मजबूती से जुड़ी हुई है और इसलिए सुरक्षाबलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, बिना विलंब किए हुए, उनके लिए फैसले लेना, उनके साथ खड़े रहना ये इस सरकार की प्राथमिकता है। और ये सरकार के स्वभाव में है। ये हमारी ही कमिटमेंट थी जिसके कारण कई दशकों से लंबित One Rank One Pension का वायदा हकीक़त में बदल चुका है। अब तक 20 लाख से अधिक रिटायर्ड फौजी भाइयों को लगभग 11 हजार करोड़ रुपए एरियर के तौर पर दिए भी जा चुके हैं।
भाइयों और बहनों, आज इस अवसर पर मैं सागर परिक्रमा के लिए निकली भारतीय नौसेना की 6 वीर, जांबाज अफसरों को भी याद करना चाहूंगा। उनका गौरव करना चाहूंगा। हमारे देश के रक्षामंत्री श्रीमति निर्मला जी की प्रेरणा से, भारत की नारी शक्ति का संदेश लेकर, वो बहुत हौसले के साथ, ये हमारे छ: जांबाज सेनानी आगे बढ़ती चली जा रही हैं। साथियों, आप ही जल-थल-नभ में इसी अथाह भारतीय सामर्थ्य को सहेजे हुए हैं। आज INS कलवरी के साथ एक नए सफर की शुरुआत हो रही है।
समुद्र देव आपको सशक्त रखें, आपको सुरक्षित रखें। “शम: नौ वरुण:” आपका ही ये Motto है। हमारी इसी कामना के साथ मैं आपको एक बार फिर नमन करता हूं, शुभकामनाओं के साथ आप सबको इस golden jubilee पर एक नये पदापर्ण के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
भारत माता की जय।